Satellite Internet 2025: Elon Musk की Starlink के बाद अब Jeff Bezos का प्रोजेक्ट Kuiper भारत के सैटेलाइट इंटरनेट बाजार में उतरने को तैयार है। Amazon की यह महत्वाकांक्षी योजना देश के दूर-दराज और इंटरनेट से वंचित इलाकों तक हाई स्पीड ब्रॉडबैंड सेवा पहुंचने का दावा करती है। कंपनी ने भारत सरकार के दूर संचार विभाग से आवश्यक मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
Kuiper प्रोजेक्ट 3000 से ज्यादा सैटेलाइट की मदद से वैश्विक स्तर पर इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराएगी। भारत में पहले से ही Starlink, OneWeb और Jio-SES जैसे बड़े खिलाड़ी मौजूद हैं ऐसे में Kuiper की एंट्री से मुकाबला और भी दिलचस्प हो जाएगा। इस टेक रस से उपभोक्ताओं को बेहतर और सस्ता इंटरनेट मिलने को उम्मीद है।
Satellite Internet 2025: सैटलाइट इंटरनेट क्या है?
सैटेलाइट इंटरनेट एक प्रकार की वायरलेस इंटरनेट सेवा है जो उपग्रह (Satellite) की मदद से काम करती है। इसमें इंटरनेट सिग्नल को पृथ्वी की कक्षा में मौजूदा उपग्रह के माध्यम से भेजा और प्राप्त किया जाता है, जिससे दुनिया के किसी भी कोने में इंटरनेट कनेक्टिविटी संभव हो जाती है। खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ फाइबर ऑप्टिक या मोबाइल नेटवर्क पहुंचना मुश्किल होता है।
सैटलाइट इंटरनेट कैसे काम करता है?
- सबसे पहले यूजर टर्मिनल (डिश एंटीना) उपग्रह को सिग्नल भेजता है।
- उपग्रह या सिग्नल इंटरनेट ग्राउंड स्टेशन तक ट्रांसफर करता है।
- फिर यह इंटरनेट से कनेक्ट होकर वापस उपग्रह के जरिए यूजर तक जाता है।
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Satellite Internet 2025: प्रमुख विशेषताएँ
- सैटेलाइट इंटरनेट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पृथ्वी के लगभग हर कोने को कवर कर सकता है चाहे वह पहाड़ी, ग्रामीण, रेगिस्तान या समुद्री क्षेत्र ही क्यों ना हो।
- आधुनिक LEO (Low Earth Orbit) सेटेलाइट्स जैसे- Starlink या Kuiper 100 Mbps से लेकर 1gbps तक की स्पीड देने में सक्षम हैं।
- पारंपरिक ब्रॉडबैंड नेटवर्क की तुलना में इसे कहीं भी जल्दी और आसानी से सेटअप किया जा सकता है। सिर्फ एक टर्मिनल, एंटीना और पॉवर की जरूरत होती है।
- पुरानी GEO (Geostationary Earth Orbit) सेटेलाइट्स में लेटेंसी ज्यादा होती थी लेकिन अब LEO सेटेलाइट्स 30-50ms की लो-लेटेंसी इंटरनेट प्रदान कर रहे हैं, जो ऑनलाइन गेमिंग और वीडियो कॉलिंग के लिए जबरदस्त है।
- यह वाई-फाई राउटर से जुड़कर कई डिवाइसेज को एक साथ इंटरनेट सेवा प्रदान कर सकता है।
- भूकंप, बाढ़ या अन्य आपदाओं के समय जब मोबाइल नेटवर्क बंद हो जाते हैं, सैटलाइट इंटरनेट महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
Satellite Internet 2025: भारत में लाइसेंस प्राप्त कंपनियाँ
भारत में सैटलाइट इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए कई कंपनियों ने आवश्यक लाइसेंस और अनुमतियाँ प्राप्त की हैं या प्रक्रिया में है। यहां कुछ प्रमुख कंपनियों का विवरण दिया जा रहा है:
कंपनियाँ | लाइसेंस |
---|---|
Reliance Jio Satellite communications (Jio-SES JV | GMPCS लाइसेंस और पैन इंडिया ISP लाइसेंस प्राप्त हो चुके हैं। IN-SPACe से भी मंजूरी मिल चुकी है। |
Eutelsat One Web (Bharti group) | GMPCS, VSAT or ISP-A लाइसेंस प्राप्त हो चुका है। |
Starlink (Spacex) | GMPCS, VSAT और ISP लाइसेंस के लिए Letter of intent प्राप्त हुआ है। |
Amazon project Kuiper | भारत में संचालन के लिए DoT और IN-SPACe से लाइसेंस की प्रक्रिया में है लेकिन अभी तक कोई लाइसेंस प्राप्त नहीं हुआ है। |
Global Star (Apple Satellite Partner) | IN-SPACe से संचालन की अनुमति के लिए आवेदन किया है तथा GMPCS लाइसेंस के लिए आवेदन करने की योजना है। |
Satellite Internet 2025: कंपनियां भारत में आने को क्यों हैं बेकरार?
भारत में सैटलाइट इंटरनेट कंपनियों की रुचि कई महत्वपूर्ण कारणों पर आधारित है जिन्हें हम निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझ सकते हैं:
- विशाल बाजार (Large Market): भारत में अभी भी 60 करोड़ से अधिक लोग ऐसे हैं जिनकी इंटरनेट सेवा तक पहुंच सीमित या बिल्कुल नहीं है खासकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्र में। सैटलाइट इंटरनेट कंपनियों के पास इन ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने का बढ़िया अवसर है।
- डिजिटल इंडिया अभियान: भारत सरकार का ‘Digital India’ मिशन हर गाँव तक इंटरनेट पहुँचाने का लक्ष्य रखता है। यह कंपनियों के लिए एक अवसर है कि वह सरकारी परियोजनाओं में शामिल होकर व्यवसाय भी करें और सामाजिक योगदान भी दें।
- उच्च डाटा खपत और तेजी से बढ़ती डिमांड: भारत दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल डेटा उपयोग करने वाले देशों में से एक है। जैसे-जैसे वीडियो स्ट्रीमिंग, ऑनलाइन क्लासेस, वर्क फ्रॉम होम और क्लाउड सर्विसेज बढ़ रही हैं, तेज और स्थायी कनेक्टिविटी की माँग भी बढ़ रही है।
- सरकार द्वारा नीतिगत सहयोग: भारत ने स्पेस पॉलिसी में सुधार किया है और अब निजी कंपनियों को भी सैटेलाइट सेवाओं की अनुमति दी जा रही है। IN-SPACe जैसे निकाय बनाए गए हैं जो निजी कंपनियों को सहयोग और मंजूरी प्रदान करते हैं।
- प्रतिस्पर्धात्मक लागत और मैनपॉवर: भारत में तकनीकी सेवाएँ और उपकरण अन्य देशों की तुलना में कम लागत पर उपलब्ध हैं। यहाँ का आईटी (IT) टैलेंट और तकनीकी विशेषज्ञता भी कंपनियों के लिए काफी फायदेमंद है।
Satellite Internet 2025: कितनी हो सकती है कीमत?
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट की सेवा उपयोग करने पर उपभोक्ताओं की जेब पर कितना बोझ पड़ेगा यह पूरी तरह से कंपनी के प्लान, डाटा लिमिट और उपकरण लागत पर निर्भर करेगा ।
अगर बात Starlink की करें तो भारत में इसके लॉन्च होने के बाद शुरुआती अनुमान यही है की कंपनी का मासिक प्लान ₹2500 से लेकर ₹7000 तक होगा जो की डाटा लिमिट और स्पीड के आधार पर तय किया जाएगा। हालांकि शुरुआत में टर्मिनल (डिश+राउटर) का एक बार का खर्च ₹40,000 से ₹50,000 तक हो सकता है।
फाइबर ब्रॉडबैंड की तुलना में सैटेलाइट इंटरनेट महँगा है खासकर शुरुआती सेटअप के कारण। लेकिन जिन क्षेत्रों में फाइबर या 4G/5G उपलब्ध नहीं है वहाँ यह एकमात्र विकल्प हो सकता है। समय के साथ जैसे-जैसे तकनीक सस्ती होगी और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, कीमतों में गिरावट की उम्मीद है।
Satellite Internet 2025: निष्कर्ष
भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं का आगमन देश के डिजिटल भविष्य के लिए एक बड़ा कदम है। Starlink, OneWeb, Jio-SES और अब Jeff Bezos का Project Kuiper, यह सभी कंपनियां देश के दूरदराज और इंटरनेट से वंचित इलाकों में हाई स्पीड ब्रॉडबैंड पहुंचने का सपना लेकर आ रही हैं।
हालांकि शुरुआती चरण में इसकी लागत पारंपरिक फाइबर इंटरनेट से अधिक होगी लेकिन उन क्षेत्रों के लिए जहां अब तक इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है सैटलाइट इंटरनेट महत्वपूर्ण समाधान बन सकता है।
सरकार की सहयोगी नीतियाँ, डिजिटल इंडिया का विजन और तेजी से बढ़ती इंटरनेट माँग इसे एक बड़ा बाजार बनाती है जिससे यह तय है कि आने वाले वर्षों में सैटलाइट इंटरनेट और अधिक किफायती और व्यापक हो जाएगा।
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