SBI Research: SBI द्वारा किए गए एक सर्वे – उपभोक्ता व्यय सर्वे से पता चला है कि वित्त वर्ष 2024 में देश में गरीबी की दर में लगभग 5% की गिरावट दर्ज होने का अनुमान है, जिसमें ग्रामीण गरीबी में 4.86 प्रतिशत तथा शहरी गरीबी में 4.09% गिरावट हो सकती है।
SBI की इस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्तमान समय में गरीबी की दर 4 – 4.5 प्रतिशत के मध्य हो सकती है। गरीबी दर को कम करने में सरकार द्वारा गरीबों, वंचितों के लिए चलाई गई विभिन्न योजनाओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आईए जानते हैं इस शोध रिपोर्ट की अन्य जानकारियों के बारे में
SBI Research: गरीबी दर में गिरावट का तुलनात्मक अध्ययन
वित्त वर्ष 2011-12 में भारत में शहरी क्षेत्र में गरीबी रेखा प्रति व्यक्ति प्रतिमाह ₹1000 तथा ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा ₹816 प्रति व्यक्ति प्रतिमाह थी। आज लगभग 1 दशक बाद वित्त वर्ष 2023-24 में गरीबी रेखा, शहरी क्षेत्र में ₹1944 प्रति व्यक्ति प्रतिमाह तथा ग्रामीण क्षेत्रों में ₹1632 प्रति व्यक्ति प्रतिमाह होने का अनुमान है। इसका मतलब यह है कि लोगों का मासिक उपभोग व्यय एक दशक में दोगुने से ज्यादा हो गया है।
SBI Research: घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2023-24
27 दिसंबर 2024 को प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की वेबसाईट पर एक प्रेस रिपोर्ट साझा की गई जिसमें सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) द्वारा किये गए सर्वे की जानकारी प्रदान की गई है। घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार ग्रामीण और शहरी उपभोग में प्रगति जारी रहेगी।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा देश के सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में 2,61,953 परिवारों (ग्रामीण क्षेत्रों से) तथा 1,54,357 परिवारों (शहरी क्षेत्रों) से पर सर्वे किया गया और प्राप्त आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई।
SBI Research: महत्वपूर्ण निष्कर्ष
- वर्ष 2023-24 में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय (MPCE) क्रमशः ₹4,122 तथा ₹6,996 रहने का अनुमान है।
- औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय (MPCE) में शहरी-ग्रामीण अंतर 2011-12 के 84% से घटकर 2023-24 में 70% हो गया है।
- आबादी के निचले तबके के लोगों के बीच में MPCE वृद्धि गरीबी दर में गिरावट का प्रमुख कारण है।
SBI Research: सरकारी योजनाओं का योगदान
SBI Research रिपोर्ट से पता चलता है, गरीबी उन्मूलन के लिए केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा चलाई गई विभिन्न योजनाएँ प्रमुख कारक हैं। विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को खाद्य पदार्थ जैसे- गेहूं, चावल,दालें, नमक, चीनी आदि मुफ्त में प्रदान किए जा रहे हैं।
साथ ही साथ अन्य कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से छात्र/छात्राओं को लैपटॉप, साइकिल, स्कूटी, मोबाइल, टैबलेट, यूनिफॉर्म आदि मुफ्त में प्रदान किए गए हैं। अन्य योजनाओं जैसे- जन आरोग्य योजना, वृद्धा पेंशन योजना, किसान सम्मान निधि योजना, आयुष्मान योजना आदि के द्वारा भी लोगों को गरीबी से बाहर निकालने का प्रयास किया गया है।
SBI Research: शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग अंतर
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय में अंतर लगातार घट रहा है। 2004-05 में जो अंतर 88% था और 2011-12 में घटकर 83% हो गया था, वही अंतर 2023-24 में घटकर 69.7% पर आ गया है। आइए इस अंतर को निम्नलिखित सारणी के माध्यम से समझते हैं:
क्रमांक | क्षेत्र | औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय (MPCE) | |||
1990 | 2004-05 | 2011-12 | 2023-24 | ||
1. | ग्रामीण | 486 | 559 | 1430 | 4122 |
2. | शहरी | 855 | 1052 | 2630 | 6996 |
3. | अंतर | 369 | 493 | 1200 | 2874 |
4. | अंतर प्रतिशत में | 75.9% | 88.2% | 83.9% | 69.7% |
FAQ.
प्रश्न: वित्त वर्ष 2024 में गरीबी दर कितना घटने का अनुमान है?
उत्तर: 5%।
प्रश्न: वर्ष 2024 में गरीबी रेखा कितना रहने का अनुमान है?
उत्तर: शहरी क्षेत्र में 1944 में प्रति व्यक्ति प्रतिमाह तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 1632 रुपए प्रति व्यक्ति प्रतिमाह रहने का अनुमान है।
प्रश्न: वर्ष 2024 में औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय (MPCE) कितना रहने का अनुमान है?
उत्तर: ग्रामीण क्षेत्रों में 4,122 रुपए तथा शहरी क्षेत्र में 6,996 रुपए रहने का अनुमान है।
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